गायों में gir cow milk per day सबसे ज्यादा है। गिर गाय मूल रूप से भारतीय गाय / देसी नस्ल है । यह डेयरी उधोग की पहली पसंद है । गिर गाय भारत के अलावा ब्राजील में मुख्य रूप से पायी जाती है । ब्राजील की इकोनोमी मुख्यत कृषि पर निर्भर है जिसमे मुख्य भागीदारी गिर गाय की है । गिर गाय का मूल स्थान गुजरात है ।
Introduction ( गिर गाय के बारे में जानकारी )
गुजरात के गिर जंगलो में पायी जाने वाली गिर गाय अपने गुणवत्तापूर्ण दूध के लिए जानी जाती है। यह हर प्रकार के मौसम में रहने वाली सहनसील प्रजाति है । लम्बे कान और लाल – सफ़ेद रंग के धब्बे इसकी मुख्य पहचान है । अधिक मात्रा में दूध देना और दूध में औषधीय गुण का होना इसको अन्य गायों से अलग पहचान दिलाता है ।
why gir cow milk is gaining popularity
गिर गाय के दूध की विशेषता –
आज के समय में गिर गाय के दूध की डिमांड धीरे धीरे बढ़ती जा रही है इसके कई कारण है –
A2 दूध की उपलब्धता – गिर गाय के दूध में A2 प्रोटीन यानि केसिन प्रोटीन की मात्रा अन्य गायों से अधिक होती है । ज्यादातर गायों के दूध में A1 प्रोटीन पाया जाता है इनमे मुख्यतया विदेशी नस्ल की गाये आती है । A2 दूध ज्यादा फायदे मंद और पोषक माना गया है जो पचने में आसान होता है ।
औषधीय गुण – गिर गाय के दूध में कई प्रकार के एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते है जो की हमारे स्वास्थय के लिए उपयोगी है। यह हमारे दिल को मजबूत बनाता है , मस्तिष्क को तंदुरुस्त रखता है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है ।
देसी नस्ल – गिर गाय का मूल स्थान गुजरात के गिर वन और पहाड़ियाँ है अर्थात यह एक भारतीय नस्ल है । इसका दूध अन्य विदेशी नस्लों से बढ़िया है क्योकि इसका विकास भी उसी वातावरण में हो रहा है जिस में हम रहते है और भारत सरकार द्वारा भी इसके लालन पालन पर सहयोग दे रही है ।
Origin and Native Region
उत्पति और मूल स्थान – गिर गाय कहाँ पायी जाती है ।

नस्ल | Gir cow |
देश | भारत |
राज्य | गुजरात |
प्रमुख मूल क्षेत्र | 1. गिर वन क्षेत्र, जूनागढ़ (Gir Forest, Junagadh) 2. काठियावाड़ क्षेत्र, सौराष्ट्र (Kathiawar Region, Saurashtra) 3. अमरेली, भावनगर, सोमनाथ आदि जिले 4. राजस्थान और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाके |
देश | भारत के अलावा , यह ब्राजील में मुख्यत पायी जाती है । |
स्थानीय नाम | 1. भोदा , 2. देसन , 3. गुजराती , 4. काठियावाड़ी , 5. सोरथी / सुरती |
वैज्ञानिक नाम ( Scientific Name ) / Breed | Bos Indicus / Zebu cattle |
Physical Characteristics ( गिर गाय की पहचान )
गिर गाय अपने दूध उत्पादन , गर्म मौसम में सहनशील और शांत सवभाव के कारण जानी जाती है ।
सिर – लम्बा छोड़ा माथा , बाहर की और उभरा हुआ ( convex style ) गुंबदाकार जो की गर्मी सहन के लिए उत्तम ।
कान – गिर गाय की सबसे बड़ी विशेष्ता है उसके लटके हुए , लम्बे और मुलायम कान।
आँखे – थोड़ी अंदर की और धंसी हुयी और देखने में बिलकुल शांत ।
शरीर – बिलकुल भरा पूरा शरीर और कूल्हे ढलान वाले ।
Hump – विशेष रूप से नर गाय में कूबड़ थोड़ा उभरा हुआ होता है ।
थन ( udder ) – बड़े , लटके , सुन्दर थन होते है ।
रंग – रंग गिर गाय की मुख्य पहचान है इसका रंग धब्बेदार होता है । शरीर पर लाल और सफ़ेद धब्बे / चकत्ते होते है ।
वजन और ऊँचाई – गायों का वजन 400kg के लगभभग और ऊँचाई 130cm तक । बैलों का वजन 450kg के लगभग और ऊँचाई 140cm तक होती है । बछड़ो का वजन जन्म के समय लगभग 20 -25kg तक होता है ।
Temperament and Adoptability of Gir Cow
Temperament ( स्वभाव ) – गिर गाय का स्वभाव बहुत ही शांत और सौम्य होता है । यह आसानी से दूसरे जानवरो के साथ घुल मिल कर रहती है । आसानी से दूध देने वाली और बुद्विमान गाय है । इस लिए गोपालको की गिर गाय पहली पसंद है ।
Adoptability ( अनुकूलन क्षमता ) – गिर गाय गर्म , ठन्डे और आर्द्र तीनों ही जलवायु में आसानी से रह सकती है । इसकी उत्पति कठोर वातावरण से हुयी है , इसलिए इसकी रोग प्रति रोधक क्षमता अन्य जानवरो से अधिक है । मौसमी बीमारिया और थनेला रोग जैसे बीमारिया इसमें कम ही पायी जाती है । जगह परिवर्तन में यह सहज पशु है क्योकि यह गुजरात से लेकर ना की पुरे भारत में बल्कि ब्राजील और मैक्सिको में भी बड़ी संख्या में पायी जाती है । यह पशु पलकों के साथ जल्दी घुल मिल जाती है , इस कारन इसका लालन पालन सरल है । यह विपरीत परिस्थियों में जल्दी ढल जाती है इसलिए यह डेरी उधोग के लिए उत्तम गाय मानी जाती है ।
Gir cow milk per day ( गिर गाय का दूध प्रतिदिन )
दूसरी गायों के तुलना में गिर गाय ज्यादा दूध देती है और इनका दुग्ध काल भी 325 दिन सबसे ज्यादा होता है ।
gir cow milk per day – 8 – 12 लीटर रोजाना
गिर गाय कितने महीन दूध देती है – 10 – 11 माह / 325 दिन
प्रतिवर्ष दूध – 1800 – 2600 लीटर
चरम दुग्धावस्था (Peak Lactation Period) – बछड़ा देने / ब्याने के 2 – 4 माह के बीच । इस अवधि में सबसे ज्यादा दूध होता है ।
दूध को प्रभावित करने वाले कारक (factors affection milk yield ) –
- जीन्स ( genes ) – गिर गाय की ब्लड लाइन कैसी थी , यानि उसके माँ को कितना दूध था । बहुत बार ऐसा होता है की अधिक दूध देने वाली गायों की बछिया भी दूध अधिक देती है । इस लिए गाय खरीदने से पहले यह देखा जाता उसकी माँ को कितना दूध था ।
- चारा ( Feeding ) – अच्छी नस्ल की गिर गायों की फीडिंग / भरण पोषण अच्छा करवाया जाये तो दूध में बढ़ोतरी होती है और पशु का स्वास्थय भी अच्छा रहता है।
- स्वास्थय ( Health ) – जिन गायों का स्वास्थय अच्छा रहता है वें दूध भी अच्छा देती है ।
keyword – gir cow milk per day / gir cow
nutritional value of gir cow milk
गिर गाय के दूध में अन्य गायों के पोषक तत्वों से जयादा पोषक तत्व मौजूद होते है । दूसरी गायों में जहाँ A1 प्रोटीन पाया जाता है वहीं गिर गाय में A2 प्रोटीन पाया जाता है ।

पोषक तत्व (Nutrient) | मात्रा (Approximate Value) |
ऊर्जा (Energy) | 70-75 kcal |
प्रोटीन (Protein) | 3 - 4 gm |
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) | 5 gm |
वसा (Fat) | 4 - 4.5 gm |
कैल्शियम (Calcium) | 125 -130 gm |
विटामिन A | Rich Quantity ( उच्च मात्रा में ) |
विटामिन D, E, K | Rich Quantity ( उच्च मात्रा में ) |
A2 Beta Casein प्रोटीन | yes पाया जाता है |
success story / case study
गिर गाय दूध उत्पादन और डेरी उधोग के लिए सबसे कामयाब गायों में से एक है । आज हम आप को 200 – 250 gir cow फार्म के मालिक हमारे एक मित्र से परिचय करवाते है की कैसे उन्होंने इंजीनियरिंग के बाद खुद का फार्म खोला और आज वे इस फार्म से लाखो रुपया महीना कमाते है ।
Farm Name – Gaukunj Gir Gaushala
owner Name – Patel Bipin kumar
Farm address – Gaukunj Gir Gaushala B/h Motera Gam Nr, Purshotam Heritage, Motera, sabarmati, Ahmedabad, Gujrat Pin- 380005
क्यों उन्होंने Gir गाय पालने का फैसला किया – विपिन कुमार जी बताते है की उन्होंने एजुकेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है पढ़ाई के साथ साथ उन्होंने gir cow के फार्म का मन बना लिया और बाद में जैसे ही उनकी इंजीनियरिंग पूरी हुयी तो उन्होंने Motera में ही फार्म खोल लिया ।
इन्होने अपने फार्म को कई भागो में बाँट रखा है जिसमे एक भाग में दूध देने वाली गाय दूसरे भाग में वे गाये है जो दूध नहीं देते एक भाग में बछड़ो को रखा है ताकि उनका फीडिंग सही तरीके से हो । इनका फार्म 4.5 बीघा / 2.5 एकड़ में फैला है ।
विपिन जी बताते है शुरुवाती देने में कुछ कठिनाइयाँ आयी थी फार्म में लेकिन समय के साथ साथ वे दूर होती चली गयी और आज इनका फार्म अच्छा चल रहा है । ये अपने फार्म में दूध , घी , मखन , मठा , छाछ आदि बेचते है और अच्छा पैसा कमाते है ।
Gir cow milk , ghee , butter price
दूध | 100 rupee lit |
घी | 1500 - 2000 rupee/kg |
मखन | 1000 - 1500 rupee/kg |
Benefits of gir cow milk per day
गिर गाय का दूध अन्य दूध वाले जानवरों से ज्यादा उत्तम माना गया है क्योकि गिर गाय के दूध में A2 टाइप प्रोटीन पाया जाता है। इसके आयुर्वेदिक गुण इसको अन्य गायों के दूध से अलग पहचान देते है । यह बच्चों , बुजुर्गो और गर्भवती महिलाओ के श्रेष्ठ है ।

- बच्चों के लिए
मस्तिष्क का विकास – गिर गाय के दूध से छोटे बच्चों के मस्तिष्क का विकास तेजी से होता है इसी लिए नवजात शिशु को भी गाय का दूध पिलाया जाता है ।
सुपाच्य – छोटे बच्चों को गिर गाय का दूध दिया जाता है ताकि उनका पाचन तंत्र ठीक रहे । भैंस के दूध से छोटे बच्चों में दस्त लगने की शिकायत ज्यादा रहती है ।
हड्डियों का विकास – बच्चों में कैल्शियम की कमी ना हो और उनका विकास जल्दी हो इसलिए गिर गाय के दूध को प्राथमिकता दी जाती है । गिर गाय के दूध में कैल्शियम ज्यादा होता है जिस से बच्चों में कैल्शियम की कमी नहीं रहती ।
- बुजुर्गो के लिए
नींद में उपयोगी – जैसी जैसी उम्र बढ़ती है वैसे वैसे नींद में कमी हो जाती है इसलिए आयुर्वेद के अनुसार बुजुर्गो को शाम को सोने से पहले बुजुर्गो को एक गिलास गिर गाय का दूध पीना चाहिए जिस से नींद अच्छी और बिना टूटे आती है ।
ऊर्जा का स्त्रोत – A2 प्रोटीन होने के कारण गिर गाय का दूध एनर्जी का अच्छा स्त्रोत माना गया है इसलिए बुजुर्गो को अपनी डाइट में गिर गाय के दूध को शामिल करना चाहिए ।
हड्डियों की मजबूती – कैल्शियम की जरुरत सबसे ज्यादा बच्चों को और बुजुर्गो को होती है ताकि उनमे कैल्शियम की कमी न रहे । घुटनो का दर्द , जोड़ो का दर्द होना बुढ़ापे में आम बात है इसलिए गिर गाय के दूध का उपयोग करना चाहिए ।
रोग – प्रतिरोधक क्षमता – रोजाना दूध पीने से छोटे से बड़े सब की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है । बार बार होने वाले मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है ।
- महिलाओं के लिए –
पैरों में दर्द – महिलाओं में घुटनो से नीचे दर्द रहना एक आम बात है जिसका प्रमुख कारण कैल्शियम और विटामिन D3 की कमी होना होता है । गिर गाय के दूध का नियमित सेवन से कैल्शियम और विटामिन D3 के कमी नहीं रहती ।
गर्भवती महिलाओं के लिए – गर्भवती महिलाओं के 7 , 8 , 9 वे महीनों में सबसे ज्यादा कैल्शियम की जरुरत होती है क्योंकि गर्भ में बच्चे की ग्रोथ सबसे ज्यादा इन्ही महीनो में होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को दूध का सेवन नियमित तोर पर करना चाहिए ।
सतन पान करवाने वाली महिला – जो महिलाएं बच्चों को स्तन पान करवाती है उनको निश्चित तौर पर गिर गाय के दूध का सेवन करना चाहिए क्योंकि गिर गाय के दूध में A2 टाइप प्रोटीन होता है जो बच्चे के विकास के लिए जरुरी है ।
इनके अलावा गिर गाय के दूध में एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो के हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होते है । आयुर्वेद में भी गाय के दूध को त्रिदोष नाषक ( वात , पित्त , कफ ) माना है । दूध बुद्धि और बल दोनों को बढ़ाता है ।
Gir cow milk comparison with others milk
गिर गाय का दूध अन्य गाय और भैंस के दूध से कितना अलग है और क्या क्या इसमें गुण टेबल से समझते है –
गुण | गीर गाय | जर्सी गाय | भैंस |
वसा % | 4.5 – 5.5 | 5.0 – 6.0 | 6.5 – 8.0 |
प्रोटीन (%) | 3.0 – 3.5 | 3.5 – 4.0 | 3.8 – 4.5 |
लैक्टोज (%) | 4.5 – 5.0 | 4.6 – 4.9 | 4.5 – 5.0 |
कैल्शियम (mg/100ml) | ~120 | ~125 | ~210 |
पानी (%) | 87.6 – 88.5 | 85 – 86 | 82 – 83 |
A2 प्रोटीन (%) | हाँ (A2) | A1 | A2 |
यदि तुलनातमक रूप से देखे तो A2 प्रोटीन और आयुर्वेद के अनुसार गिर गाय का दूध सबसे अच्छा है । यह सुपाच्य दूध है ।
current rate in India ( गिर गाय की कीमत )
गिर गाय की कीमत उसकी नस्ल , दूध कितना है , उसका स्वास्थय और उसकी ब्यांत पर निर्भर करता है –
गिर गाय की कीमत ( दूध देनी वाली / ब्यायी हुयी ) – 55000 – 100000 रुपये
गिर बछड़ा/बछड़ी (Calf/Heifer) – 20000 – 30000 रुपए
Government Schemes for Gir cow
गिर गायों के नसल सुधार , विकास और संरक्षण के लिए सरकार द्वारा समय समय पर बहुत सी योजनाए चलायी गयी है । ये योजनाएं बढ़ती दूध के मांग को धयान में रखते हुए तथा किसानो की लिए डेयरी उद्योग को अधिक लाभकारी बनाने के लिए चलायी जा रही है । इनमे में कुछ योजनाए भारत सरकार द्वारा तथा कुछ योजनाए राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही है ।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन:
योजना का सुभारम्भ – दिसम्बर 2014
योजना परिव्य – 2400 करोड़ , 2021 से 2026 तक
मंत्रालय – मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
उद्देश्य –
गोवंश नस्लों का सरंक्षण , विकास , उतपादकता में वृदि करना इसका प्रमुख उदेस्य है ।
नस्ल सुधार हेतु उच्च गुणवत्ता वाले सांडो के सीमन का उपयोग करना ।
दूध उत्पादन में स्थाई वृदि करना ।
स्वदेशी नस्लों के विकास के साथ गोकुल ग्राम की स्थापना करना ।
अधिक जानकारी और आवेदन के लिए आप मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय पर लोग इन कर सकते है ।
- Gir Adarsh Aajeevika Yojana ( GAAY )
यह योजना Dadra & Nagar Haveli, Daman & Diu सरकार द्वारा शुरू की गयी थी । दादरा और नगर हावेरी दमन और दीव अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम ने महिलाओं के लिए डेयरी फार्मिंग पर आधारित एक योजना तैयार की है जिसमे महिलाओं को देशी गिर नस्ल की गाय खरीदने के लिए सब्सिडी के रूप में वित्तीय सहायता दे रहा है। सरकार गिर गायो की खरीद पर 25% से 75% तक सब्सिडी दे रही है । ताकि महिलाओ को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया जा सके ।
यदि आप इसके बारे में अधिक जानकारी चाहते है तो आप दादरा और नगर हावेरी सरकार की ऑफिसियल वेबसाइट पर जा के इसके बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है – Gir Adarsh Aajeevika Yojana ( GAAY )
- गिर गाय हेतु ब्राजील से आयत हो रहा सीमन
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत राजस्थान सरकार ने ब्राजील से सांडो का उनन्त किस्म का फ्रोजन सीमन मंगवाया है । 2680 डोज़ अजमेर के किसानों को मिली है ओर पुरे प्रदेश में (23 जिलों ) में भी वितरण शुरू किया गया है । डेयरी उधोग को मजबूत बनाने को उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार का यह एक सरहानीय प्रयास है ।
राजस्थान ही नहीं भारत के दूसरे राज्य भी अब अपने अनुसार ब्राजील से उच्च गुणवत्ता का सीमन अपने किसान भाइयो के लिए मंगवा रही है ।
- National Livestock Mission – NLM ( राष्ट्रीय पशुधन मिशन )
NLM योजना में छोटे और बड़े दोनों प्रकार के पशुओं को शामिल किया गया है । इसमें जुगाली करने वाले पशु गाय ( गिर गाय ), भैंस , भेड़ , बकरी , ऊंट मुर्गा आदि सभी जानवरो के मांस , दूध , अंडो के उत्पादन में वर्दी करना तथा डेरी उधोग का विकास करना ही मुख्य उदेस्य है । राष्ट्रीय पशुधन मिशन के बारे में अधिक जानकारी के लिए तथा आवेदन के लिए हम इसकी वेबसाइट पर विजिट कर सकते है ।
यदि आप एक गोपालक है और आपके पशुओं में प्रजनन संबंधी कोई समस्या है या आप का पशु हीट में नहीं आ रहा है या AI द्वारा पशु गर्भाधान नहीं कर पा रहा है तो आप हमारे आर्टिकल GYNARICH INJECTION USES IN HINDI या ZINCOMIN BOLUS USES IN HINDI को पढ़ सकते है ।
Tips for Increasing milk yield
संतुलित आहार के साथ साथ भी कई बार पशु अपने दूध को घटा देते है । पशुओ में जब कैल्शियम या अन्य विटामिन की कमी हो जाती है तब पशुओ के दूध में गिरावट आने लगती है । घरेलु नुस्को के कुछ आयुर्वेदिक दवाइयाँ भी है जिनसे आप अपने पशु का दूध बड़ा सकते है ।
गिर गाय का दूध बढ़ाने के घरेलु उपचार –
सौंफ और बतासा ( Fennel Seeds + sugar disk / Sugar Puff ) –
यदि आप का पशु सवस्थ है और अच्छा दूध भी दे रहा है परन्तु अचानक से पशु अपना दूध कम कर देता है तो उसके लिए आप उसे दिन में दो बार सुबह और शाम 50/100gm सौंफ और 100gm बतासा 5 दिन तक लगातार देना चाहिए । सौंफ और बतासे दोनों ही पशु का दूध चमत्कारी रूप से वापिस बढ़ा देते है । गर्मियों में तो अनिवार्य रूप से दे क्योकि ये दोनों ही पशु को गर्मी से भी बचाते है। जिस से आप अपनी gir cow milk per day बढ़ा सकते है ।
चूना ( Lime या Limestone ) –
यदि आप अपने पशु का दूध बढ़ाना चाहते है और सवस्थ रखना चाहते है तो पशुओं को चुने का पानी रोजाना पिलाना चाहिए । इसको आसान बनाने के लिए जंहा पशु पाने पीते है वहाँ पर चुने का लेप कर देना चाहिए ताकि पानी के साथ रोजाना पशु चुना भी पि सके । पशुओं को चुना पिलाने से पशुओं के दूध में बढ़ोतरी के साथ दूध में मखन / घी भी ज्यादा आता है । इसके अलावा चुने से पशुओं में गर्भाधान की क्षमता भी बढ़ती है । इस से आप अपनी gir cow milk per day बढ़ा सकते है ।
( स्त्रौत – राजीव दीक्षित )
मेथी + देसी घी + गुड़ ( Fenugreek seeds + ghee + jaggery ) –
50gm मेथी को थोड़ा मोटा पीसना है ( दलिया रूप में ) इसके बाद इसमें 100gm देसी गाय का घी और 150gm गुड़ को मिक्स कर लेना है । इस मिक्सर को पशु को सुबह खाने के बाद देना चाहिए करीब 10 बजे के आस पास। इस उपचार को 5 दिन लगातार करे और बाद में एक हफ्ते में एक बार दे महीने भर तक यानि महीने में 4 बार । इस उपचार के बाद आप देखेंगे की आप के पशु में दूध की बढ़ोतरी होगी। इस से आप अपनी gir cow milk per day बढ़ा सकते है ।
गिर गाय का दूध बढ़ाने की दवाइयाँ –

- Ostovet Forte + Vimeral –
पशुओं में जब कैल्शियम और विटामिन्स की कमी हो जाती है तब पशुओं के दूध में कमी आने लगती है । इसका प्रमुख कारण होता है की पशुओं को संतुलित आहार का ना मिलना या पशु जब बछड़े को जन्म देता है तब पशुओं का कैल्शियम टूटने लगता है और वो धीरे धीरे कम होने लग जाता है । Ostovet Forte 5lit में vimeral 300ml मिला कर रोजाना पशुओं को 100gm सुबह 100gm शाम को देने से पशुओं में कैल्शियम और विटामिन्स की पूर्ति हो जाती है और पशुओं का दूध फिर से बाद जाता है तथा पशु का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है । यह gir cow milk per day बढ़ाने के लिए सबसे बढ़िया दवा है ।
- MILKVET TABLETS –
milkvet tablet एक आयुर्वेदिक दवा है यह उन पशुओं के लिए बेहतरीन दवा जिन पसुओ का दूध कम हो गया है और दूध बढ़ाने के लिए इंजेक्शन का उपयोग करते है । यह 100 टेबलेट की पेकिंग में आती है । दूध निकालने से पहले 7 – 8 टेबलेट पशु को 1/2 घंटा पहले देनी होती है जिस से पशु के दूध में बढ़ोतरी होती है । यह टेबलेट पशु को 15 से 20 दिन तक देनी चाहिए ।
- Ashoka am – pm –
Ashoka कंपनी की am – pm syrup आती है जो पशु को पोशाने और दूध उतारने में मददगार है । यह एक होम्योपैथी दवा जिसके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है । दूध दुहने से पहले इसको 10ml सिरिंग से सीधा पशु के मुँह में दिया जाता है या रोटी पे 10ml दवाई डाल के पशु को खिला देने से पशु के दूध में बढ़ोतरी होती है ।
ऊपर दिए उपायों से आप अपनी gir cow milk per day बढ़ा सकते है । इनके अलावा यदि आप के पास कोई और होम मेड रेमेडी है तो जरूर कमेंट करे ।
📌 From the Editor’s Desk
Gir cow milk per day के इस आर्टिकल में हमने जो जानकारी आप के साथ साझा की है वो जानकारी हमारी रिसर्च और हमारे व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर है । यह जानकारी हमने गोपालको और दूध डेयरी चलाने वाले किसान भाइयों से ली है ।
हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आप के कितना काम आयी या इस जानकारी से संतुस्ट है या आप के मन में कोई सवाल है तो हम से कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है । आप अपनी राय जरूर दे जो की हमारे मोटिवेशन का कारण बनती है ।